कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने हाल ही में एक बयान देकर राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। उन्होंने गठबंधन में बराबरी की मांग की और कहा कि अब 80-17 वाला फॉर्मूला काम नहीं करेगा
कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने हाल ही में एक बयान देकर राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। उन्होंने गठबंधन में बराबरी की मांग की और कहा कि अब 80-17 वाला फॉर्मूला काम नहीं करेगा
कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने हाल ही में एक बयान देकर राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। उन्होंने गठबंधन में बराबरी की मांग की और कहा कि अब 80-17 वाला फॉर्मूला काम नहीं करेगा। उनका यह बयान विशेष रूप से समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच बढ़ती दरारों को रेखांकित करता है।
गठबंधन में बराबरी की मांग
इमरान मसूद ने स्पष्ट रूप से कहा कि गठबंधन में सभी पार्टियों को बराबर महत्व और प्रतिनिधित्व दिया जाना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि किसी भी सियासी गठजोड़ में एकतरफा निर्णय नहीं लिए जा सकते। उनका मानना है कि यदि गठबंधन सफल होना है, तो सभी पार्टियों को समान अवसर और संसाधन प्रदान किए जाने चाहिए।
80-17 फॉर्मूला पर सवाल
मसूद ने 80-17 वाले फॉर्मूले पर भी सवाल उठाए, जो उत्तर प्रदेश में 80 लोकसभा सीटों और 17 विधानसभा सीटों के वितरण को संदर्भित करता है। उन्होंने कहा कि यह फॉर्मूला अब काम नहीं करेगा और गठबंधन को नई रणनीति अपनानी होगी। उनका यह बयान इंगित करता है कि वे पुराने फॉर्मूले से संतुष्ट नहीं हैं और बदलाव की मांग कर रहे है
समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच दरार
वीडियो में यह भी दिखाया गया है कि कैसे समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच दरारें बढ़ रही हैं। इमरान मसूद के बयान ने इन दरारों को और गहरा कर दिया है। विशेष रूप से, अखिलेश यादव की PDA (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) रणनीति पर मसूद ने सवाल उठाए, जिसमें मुस्लिम समुदाय की भूमिका पर प्रश्नचिह्न लगाया गया।
अखिलेश यादव पर निशाना
इमरान मसूद ने अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में किसी भी सियासी गठजोड़ की जरूरत नहीं है। उनका यह बयान सीधे तौर पर समाजवादी पार्टी की रणनीति और नेतृत्व पर सवाल उठाता है। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि गठबंधन को अधिक समावेशी और प्रभावी होना चाहिए।
इमरान मसूद का बयान न केवल गठबंधन की संरचना और कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी इंगित करता है कि राजनीतिक दलों के बीच सहयोग और समन्वय की कमी कैसे गठबंधन को कमजोर कर सकती है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि इन बयानों का गठबंधन की राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
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